ध्वनिः सर्वोत्तमस्तस्य रूपसंरचनाद्भुता /
वाक्यप्रविधिरानंदो'र्थविज्नानमनाविलं //
श्रवणे मनने ध्याने कीर्तने भाषणे स्मृतौ /
प्रयोगे दर्शने ज्नाने विज्नाने'ध्यात्मजीवने /
संस्कृतेन समं नास्ति भाषा लोकेषु त्रिषवपि /
स्वयं परीक्ष्य जानीहि प्रत्यक्षावगमेन भो: //
वाक्यप्रविधिरानंदो'र्थविज्नानमनाविलं //
श्रवणे मनने ध्याने कीर्तने भाषणे स्मृतौ /
प्रयोगे दर्शने ज्नाने विज्नाने'ध्यात्मजीवने /
संस्कृतेन समं नास्ति भाषा लोकेषु त्रिषवपि /
स्वयं परीक्ष्य जानीहि प्रत्यक्षावगमेन भो: //
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